हाथी का मांस खा रहे हैं सैनिक

एक वन्यप्राणी कार्यकर्ता ने बताया है कि जिम्बाब्वे के सैनिकों को खाने के लिए हाथी का मांस दिया जा रहा है।

ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि वहाँ गोमांस की आपूर्ति कम हो गई है और हाथी का मांस सहजता से उपलब्ध है। जिम्बाब्वे के रक्षा विभाग ने इस रिपोर्ट पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है। जॉनी रॉड्रिग्स जिम्बाब्वे के कंजर्वेशन टास्क फोर्स के लिए काम करते हैं और उनका कहना है कि कई सैनिकों ने शिकायत की है कि मांस के रूप में उन्हें सिर्फ हाथी का मांस की परोसा जा रहा है।

संभालना मुश्किल : समझा जाता है कि जिम्बाब्वे में कोई एक लाख हाथी हैं और यह संख्या इतनी अधिक है कि आर्थिक संकट झेल रहे जिम्बाब्वे के वनों में उन्हें रखना कठिन साबित हो रहा है।
रॉड्रिग्स का कहना है कि हाथी का मांस परोसे जाने का सिलसिला पिछले जून में शुरू हुआ था, लेकिन हाल ही में इसमें बढ़ोतरी हुई है। जिम ऑनलाइन नाम की एक वेबसाइट ने हरारे में एक अज्ञात सैन्य अधिकारी के हवाले से कहा है कि सैनिकों ने हाथी का मांस खाना पिछले हफ्ते ही शुरू किया है।
इस अधिकारी का कहना है कि सैनिकों के लिए हाथी का मांस एक स्वागतयोग्य राहत थी, क्योंकि इससे पहले तो उन्हें सिर्फ दलिया खाने को दी जा रही थी वन्यप्राणी कार्यकर्ता रॉड्रिग्स का कहना है कि सेना के लिए गोमांस की आपूर्ति करने का जो ठेका दिया गया था, उसे रद्द कर दिया गया है। उनका कहना है हाथी का मांस एक तो आसानी से मिल रहा है और दूसरा यह बहुत सस्ता है।
ज़िम्बाब्वे के राष्ट्रीय वनों में 45 हजार हाथियों को रखने की सुविधा है, लेकिन उनकी बढ़ी हुई संख्या से परेशानी हो रही है। वहाँ आर्थिक हालत भी खस्ता है और पिछले दिनों राजधानी हरारे में सैनिकों ने गहरी नाराजगी जाहिर की थी, जब वे बैंकों से अपने वेतन के पैसे भी नहीं निकाल सके थे।
देश में कई सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह तो सिर्फ इतनी है कि उतने पैसों में वे घर से दफ्तर तक आना-जाना ही कर सकते हैं। ऐसे में लोग वहाँ या तो कालाबाजारी करते हैं या फिर उन पैसों पर निर्भर करते हैं, जो उनके रिश्तेदार दूसरे देशों से भेजते हैं।
राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे को सत्ता में काबिज रखने में सेना का बड़ा योगदान है। पिछले साल हुए चुनावों के बाद विपक्ष चाहता था कि एक बार फिर मतदान हो, लेकिन सैन्य अधिकारियों ने इससे इनकार कर दिया था।