विज्ञान को समर्पित मैडम क्यूरी

 व्यक्ति मात्र के विकास के बगैर हम विश्व को सुंदर नहीं बना सकते। इस लक्ष्य के लिए हमें सदा प्रयासरत रहना होगा, मानवीयता के लिए भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। हमारा प्रमुख कर्तव्य उनके लिए हो, जिनके लिए हम सर्वाधिक उपयोगी हो सकते हैं।
मैडम मैरी क्यूरी
 वारसा (पोलैंड) में 7 नवंबर 1867 को जन्मी मैरी स्क्लोडोव्स्का यानी मैडम क्यूरी भौतिकी में नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली स्त्री थीं। उन्हें रसायन विज्ञान में भी नोबल पुरस्कार मिला। दो नोबल जीतने वाली वह पहली व्यक्ति थीं। वह न सिर्फ अपनी महत्वपूर्ण खोज रेडियोएक्टिविटी के लिए जानी गई, बल्कि इसलिए भी कि उन्होंने वैज्ञानिक पति की मृत्यु के बाद सरकारी पेंशन स्वीकार करने के बजाय पेरिस विश्वविद्यालय में प्रोफसर पद पर कार्य करना मंजूर किया। वह अकेली ऐसी नोबल विजेता थीं, जिनकी दोनों बेटियों को भी नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ। मैडम क्यूरी के जीवन और कार्य के संबंध में कुछ दिलचस्प बातें यहां प्रस्तुत हैं-
1. विलक्षण स्मरण-शक्ति वाली थीं मैरी। दोस्तों के बीच मान्या नाम से लोकप्रिय मैरी को 16 वर्ष की आयु में हायर सेकंडरी में स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ था।
2. उनके माता-पिता शिक्षक थे। गलत निवेश के कारण पिता का पैसा डूब गया। मैरी 11 वर्ष की थीं, तभी मां की मृत्यु हो गई। आर्थिक तंगी के दिनों में मैरी को कुछ समय पढाने का कार्य करना पडा। उन्हें एक घर में गवर्नेस भी बनना पडा, जहां जीवन का पहला प्यार उन्हें हुआ। दुर्भाग्य से यह विफल रहा और मैरी के लिए मानसिक परेशानी का सबब बना।
3. पेरिस में चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा ग्रहण करने वाली बहन ब्रोनिया को वह पैसा भेजती थीं, ताकि वह बाद में उन्हें मदद करे।
4. 1891 में वह आगे की पढाई करने पेरिस चली गई। मुफलिसी के दिनों में ब्रेड-बटर और चाय के सहारे उन्होंने पढाई जारी रखी। 1894 से प्रयोगशाला में काम करना शुरू कर दिया।
5. वैज्ञानिक प्रयोगों के दौरान ही प्रयोगशाला में एक और प्रयोग हुआ। मैरी पियरे से मिलीं और प्रेम का एक नया अध्याय शुरू हुआ।
6. 1895 में प्रेम की परिणति विवाह में हो गई। इस वैज्ञानिक दंपती ने 1898 में पोलोनियम की महत्वपूर्ण खोज की। कुछ ही महीने बाद उन्होंने रेडियम की खोज भी की। चिकित्सा विज्ञान और रोगों के उपचार में यह एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी खोज साबित हुई।
7. मैरी क्यूरी ने 1903 में पी-एच.डी. पूरी कर ली। 1903 में इस दंपती को रेडियोएक्टिविटी की खोज के लिए नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
8. इस वैज्ञानिक स्त्री के लिए मातृत्व भी बेहद प्रेरणादायक अनुभव था। उन्होंने दो बेटियों को जन्म दिया। 1897 में आइरीन हुई और 1904 में ईव। मैरी का कहना था कि शोध कार्य व घर-बच्चों को एक साथ संभालना आसान कार्य नहीं था, लेकिन अपने जुनून को हर स्थिति में जिंदा रखने का प्रण किया था।
9. इसी बीच एक सडक दुर्घटना में उनकेपति वैज्ञानिक पियरे क्यूरी का निधन हो गया। इसके बाद पति के सारे अधूरे कार्यो की जिम्मेदारी भी मैरी ने खुद पर ले ली।
10. 1911 में उन्हें रसायन विज्ञान के क्षेत्र में रेडियम के शुद्धीकरण (आइसोलेशन ऑफ प्योर रेडियम) के लिए नोबल पुरस्कार मिला।
11. प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अपनी बडी बेटी आइरिन के सहयोग से उन्होंने एक्स-रेडियोग्राफी के प्रयोग को विकसित करने के लिए कार्य किया।
12. 1922 तक वह बौद्धिक चरम तक पहुंच चुकी थीं। 1932 तक उन्होंने पेरिस में क्यूरी फाउंडेशन का सफल निर्माण कर लिया, जहां उनकी बहन ब्रोनिया को निदेशक बनाया गया।
13. 1934 में ही अतिशय रेडिएशन के प्रभाव के कारण मैरी क्यूरी का निधन हो गया।
14. वैज्ञानिक मां की दोनों बेटियों ने भी नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। बडी बेटी आइरीन को 1935 में रसायन विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ तो छोटी बेटी ईव को 1965 में शांति के लिए नोबल पुरस्कार मिला।
15. गौरतलब है कि भौतिकी में अब तकसिर्फ दो स्त्रियों को नोबल पुरस्कार मिला है। पहली थीं मैरी क्यूरी, जबकि दूसरी थीं मारिया गोईपार्ट मेयर, जिन्हें 1963 में नोबल मिला।