उड़ी रे पतंग
पतंगों का रिश्ता हमारे देश के साथ बेहद खास है। चाहे 15 अगस्त हो या 14 जनवरी यानी कि मकर संक्रांति हम भारतवासी पतंग उड़ाना नहीं भूलते। इन दो दिनों में तो इतनी पतंगें उड़ाई जाती है कि आकाश भी कुछ हद तक रंग-बिरंगा सा लगने लगता है। वैसे बच्चों क्या तुम जानते हो कि आज से 25000 साल पहले यानि ईसा पूर्व चीन में पतंग उड़ाने की शुरूआत हुई थी। पहले संदेश आदान-प्रदान के लिए इसे उड़ाया जाता था। कुछ लोगों को यह भी मानना है कि लगभग उसी काल में यूनान की एक व्यक्ति आरकाइट्स ने दुनिया की सबसे पहली पतंग का निर्माण किया था और इसी कारण पतंग को अंग्रेजी में काइट कहते हैं।
पतंगों का संबंध कई आविष्कारों से भी हैं। तुम्हें यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि ऐरोप्लेन के आविष्कारक राइट ब्रदर्स ने पतंगों से काफी कुछ सीखा था। इतना ही नहीं ब्रेजामिन फ्रेकालिन और मारकोनी ने भी पतंगों द्वारा बहुत कुछ आविष्कार किया। सन् 1883 में इंग्लैंड के डगसल आकिवेल्ड ने पतंगों के जरिए 1200 फीट की ऊंचाई पर बहती हवा की गति भी मालूम की थी। यह तो हुई आविष्कारों की बात पर कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हल्की नहीं, बल्कि भारी पतंग उड़ाने का शौक है। मसलन हमारे देश के अहमदाबाद शहर के एक पतंगबाज ने एक ही डोर से 300 पतंगों को उड़ाने का करिश्मा कर दिखाया है। बीस-बीस फीट ऊंची पतंग का तो प्राय: हर साल दिल्ली में ही मकर संक्रांति के अवसर पर उड़ाई जाती है। पटना-आरा और राजस्थान में भी खूब भारी व रंगबिरंगी पतंगों को आसमान में उड़ाया जाता है। वैसे तो पूरे देश में ही पतंगों का बोलबाला है पर दिल्ली, लखनऊ, बनारस, पटना, आरा, जयपुर, अहमदाबाद व हैदराबाद की पतंगबाजी अधिक मशहूर है।