प्रकृति में समाया आनंद मिरिक, कुर्सियांग व कलिंपोंग यूं तो दार्जिलिंग अपनी सर्द खूबसूरत वादियों के लिए जाना जाता है। लेकिन इससे थोड़ा नीचे और इसके करीब की कुछ रोमाटिंग वादियों- मिरिक, कुर्सियांग ओर कलिंपोंग की जादुई प्राकृतिक छटा पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींच लाती हैं। मिरिक में प्रकृति ने अपना वैभव जम कर लुटाया है। वह पर्यटक जो भीड़-भाड़ से दूर किसी हिल स्टेशन के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना चाहते हैं उनके लिए मिरिक बेहतर स्थान है। यहां की शांत, सौम्य एवं प्राकृतिक वैभव से सराबोर वादियों में नवविवाहित जोड़े अपने भविष्य के सुखद सपनों को संजोते हैं। मिरिक समुद्रतल से 5800 फुट की ऊंचाई पर स्थित हैं।
मिंरिक के प्रमुख केन्द्र : यहां की मिरिंक लेक पर्यटकों पर अपना जादू सा असर छोड़ती है, लगभग सवा किलोमीटर लम्बी इस झील पर बना पुल तो मानो इस लेक की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। झील के आसपास लगे सैंकड़ों पेड़ इस झील के प्रहरी के समान दिखाई देते हैं। मिरिक लेक में नौका विहार का एक अपना अलग ही आनंद है। मिरिक लेक से थोड़ी ही दूरी पर सनराइज पाइंट है। यह स्थान ऊंचाई पर है। इसलिए इस स्थान से सूर्योदय और सूर्योसत का बड़ा मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। मिरिक लेक से ही सिर्फ 4 किमी दूरी पर संतरा बागान है। संतरा बागान तक पहुंचने के लिए दो विकल्प हैं। चाहे तो आप खूबसूरत वादियों का आनंद लेते हुए पैदल जा सकते हैं या फिर लेक के पास से घोड़े पर सवार होकर जा सकते हैं। दोनों का अपना अलग अंदाज है। मिरिक जोन के लिए आप वाया सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग होते हुए कहीं से भी पहुंच सकते हैं। कुर्सियांग : अपने शाब्दिक अर्थ को चरितार्थ करते हुए दार्जिलिंग से सिर्फ 30 किमी की दूरी पर बहुतायत में खिले सफेद ऑर्किंड के आकर्षक फूलों से सुसज्जित एक छोटा सा पर्यटक स्थल है। समुद्रतल से 1.458 मीटर की ऊंचाई पर बने कुर्सियांग की जलवायु हर मौसम में खुशगवार लगती है। इस छोटे से पहाड़ी शहर का संबंध कई महापुरुषों से भी रहा है, जैसे गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, सुभाषचन्द्र बोस, सिस्टर निवेदिता आदि। कुर्सियांग के प्रमुख केन्द्र : कुर्सियांग रेलवे स्टेशन से मात्र 1 किमी दूरी पर ईगल्स क्रेग है। यहां के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों की मनोरम छटा का आप आनंद ले सकते हैं। यहां की खासियत हैं- सूर्योदय और सूर्यास्त पर्यटक यहां से सूरज के दोनों रूप देखने का आनंद लेते हैं। कुर्सियांग का एक प्रमुख स्थान यहां का फॉरेस्ट म्यूजियम भी है। यहां पर्यटक सैर सपाटे के साथ ज्ञान लाभ भी लेते हैं। यहां का डियर पार्क भी पर्यटकों के लिए आनंददायक स्थल है। यहां की कुछ ही दूरी पर स्थित मकई-बॉडी की स्टेट से चाय बागान और इसके आसपास की छटा पर्यटकों को सम्मोहित कर देती है। यहां पर्यटक बागान से बाजार तक चाय के सफर को देख सकते हैं, जो अपने आप में खासी दिलचस्प प्रक्रिया है। कुर्सियांग तक सड़क मार्ग से सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग, मिरिक शहरों से होते हुए कहीं से भी पहुंचा जा सकता है। कुर्सियांग में ठहरने के लिए आरामदेह होटल और लॉज उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ हैं-कुर्सियांग टूरिस्ट लॉज, कुर्सियांग डे सेंटर, अमर जीत होटल आदि। कलिंपोग- यह दार्जिलिंग से सिर्फ 51 किमी की दूरी पर है। यहां का मौसम वर्ष भर खुशगवार रहता है। समुद्रतल से 4100 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस खूबसूरत शहर का तापमान गर्मियों में 17 डिग्री सेंटीग्रेड से 27 डिग्री सेंटीग्रेड तक होता है लेकिन सर्दी में भारी ऊनी कपड़ों की जरूरत पड़ती है। कलिंपोंग के प्रमुख केन्द्र - यहां का लग्ाभग 500 एकड़ में फैला डा ग्राहम होम्स एक भव्य और अनूठा शिक्षण संस्थान है। इस स्कूल की स्थापना सन 1900 में डा जान एंडरसन ग्राहम ने की थी। शहर से मात्र 2 किमी दूर स्थित गौरीपुर हाउस गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर से संबंधित होने के कारण मशहूर है। गुरूदेव ने अपने जीवन में कई बार कलिंपोंग की यात्रा की तथा अपनी महत्वपूर्ण काव्य रचनाएं भी यहां की। कलिंपोंग में डपिन दारा एक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है जहां से पर्यटक वहां के मैदानी तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भावविभोर हो कर आनंद लेते हैं। शह से सिर्फ 2 किमी दूर कालीबाड़ी में मां काली की भव्य प्रतिमा का दर्शन पर्यटकों का मुख्य आकर्षण है। नव विवाहित जोड़े यहां आकर यहां की प्रकृति का आनंद लेने के साथ मां काली के आर्शीवाद से जीवन के सुखद भविष्य की कामना करते हैं। साथ ही में नवनिर्मित मंगलधाम मंदिर की खूबसूरती को देखकर पर्यटक दंग रह जाते हैं। कलिंपोंग ढेर सारी नर्सरियों के कारण भी प्रसिद्ध है। पर्यटक यहां आकर इन्हें न देखे तो यात्रा अधूरी रह जाती है। कलिंपोंग सड़क मार्ग से दार्जिलिंग सिलीगुड़ी, गंगतोक आदि से जुड़ा है। देश के किसी भी स्थान से यहां पहुंचकर कलिपोंग पहुंचा जा सकता है।
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