क्‍या है सेरोगेसी

child45x62कहते हैं मातृत्‍व, एक स्‍त्री के जीवन का सबसे खूबसूरत अहसास होता है, बच्‍चे की पहली किलकारी, नन्‍हें पैरों से लिए पहले कदम और उसकी तोतली जुबान से मां सुनना, एक स्‍त्री के लिए कभी न भूलने वाले पल होते हैं। जिन्‍हें वह हमेशा अपने दिल में संजो कर रखती है। पर गर्भाशय में संक्रमण के कारण कुछ स्त्रियां इस अहसास के लिए तरसती रह जाती हैं। ऐसे में सरोगेसी एक बेहतरीन चिकित्‍सा विकल्‍प है जिसमें बंध्‍य जोड़े किसी अज्ञात महिला या जानकारी की सहायता से संतान सुख की प्राप्ति कर सकते हैं।
सरोगेसी का शाब्दिक अर्थ- सरोगेसी शब्‍द लैटिन शब्‍द 'सबरोगेट' से आया है जिसका अर्थ होता है किसी और को अपने काम के लिए नियुक्‍त करना।
सरोगेसी तरह-तरह की
ट्रेडिशनल सरोगेसी- इस पद्धति में संतान सुख के इच्‍छुक दंपत्ति में से पिता के शुक्राणुओं को एक स्‍वस्‍थ महिला के अंडाणु के साथ प्राकृतिक रूप से निषेचित किया जाता है। शुक्राणुओं को सरोगेट मदर के नेचुरल ओव्‍युलेशन के समय डाला जाता है। इसमें जेनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है।
जेस्‍टेशनल- इस पद्धति में माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्‍चेदानी में प्रत्‍यारोपित कर दिया जाता है। इसमें बच्‍चे का जेनेटिक संबंध मां और पिता दोनों से होता है। इस पद्धति में सरोगेट मदर को ओरल पिल्‍स खिलाकर अंडाणु विहीन चक्र में रखना पड़ता है जिससे बच्‍चा होने तक उसके अपने अंडाणु न बन सके।
सरोगेसी से जुड़े विवाद- आज सरोगेसी एक विवादास्‍पद मुद्दा है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें सरोगेट मदर ने बच्‍चा पैदा होने के बाद भावानात्‍मक लगाव के कारण बच्‍चे को उसके कानूनी मां-पिता को देने से इंकार कर दिया है। बच्‍चा विकलांग पैदा हो जाए या फिर करार एक बच्‍चे का हो और जुड़वा बच्‍चे हो जाएं तब भी कई तरह का विवाद सामने आए हैं। जिसमें जेनेटिक माता-पिता द्वारा बच्‍चे को अपनाने से इंकार भी शामिल है।
खैर विवाद चाहे कुछ भी हो पर यह एक निर्विवाद सत्‍य है कि सेरोगेसी न केवल निसंतान दंपत्ति को बल्कि समलैंगिक लोगों को भी मां या पिता बनने का सुखद अहसास कराने में मदद करती है। पर साथ ही यह एक प्रश्‍न भी है कि जनने वाली औरत सेरोगेट मदर का बच्‍चे के प्रति भावनात्‍मक प्रेम क्‍या कानूनी कागजों में दस्‍तखत करा के खत्‍म किया जा सकता है।