कहानी जापानी गुडि़या की
27 जुलाई सन 2008 को एक जापानी दंपत्ति डा यामदा व उनकी पत्नी युकी की एक संतान पैदा हुई जिसका नाम रखा गया मांझी और देखते ही देखते 3 अगस्त 2008 को यह नन्हीं सी गुडि़या मीडिया व अखबारों की सुर्खी बन गई। दरअसल मांझी की कहानी मातृत्व के बदलते तरीके यानी सरोगेसी से पैदा हुई मानवीय उलझनों को सामने लाती है। एक बच्चे का जन्म सरोगेसी द्वारा कितना विवादास्पद हो सकता है यह बात मांझी के साथ ही लोगों के सामने प्रकाश में आई। चुंकि जापान में सरोगेसी पर पूर्ण प्रतिबंध है इसलिए यह निसंतान जापानी दंपत्ति भारत आए थे। अपने एक भारतीय मित्र की सहायता से गुजरात में आणंद स्थित 'केवल अस्पताल' की डा नयना पटेल से उन्होंने संपर्क साधा व उन्हें एक स्वस्थ औरत ढूंढने को कहा जो कि अपनी कोख किराए पर देकर उनके जीवन में प्रकाश ला सके। एक निहायत ही गरीब औरत प्रीती बेन के साथ बाकायदा स्टांप पेपर पर लिखित करार हुआ और सौदा तय हुआ 12 से 15 लाख रुपए में यहां तक सब ठीक रहा। मांझी इस संसार में आई पर तभी कुछ दिनों बाद दंपत्ति का तलाक हो गया। चूंकि संतान लड़की थी इसलिए पिता को सौंपने में कानूनी अड़चने थी और मां यूकी ने पहले ही उसे अपनाने से इंकार कर दिया था। मांझी की दादी इमिको ने उसे अपने साथ जापान ले जाने की पेशकश की पर उसे भी ठुकरा दिया गया। मामला तब और भी पेचीदा हो गया जब 5 अगस्त 2008 जयपुर के एक स्थानीय स्वयंसेवी संस्थान 'सत्य' ने जयपुर हाईकोर्ट में मांझी को अपनाने के लिए दावा ठोक डाला। चूंकि मामला चिकित्सा संबंधी था इसलिए इसे सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया जिस पर कोर्ट यह कहकर अलग हो गया कि यह भारत सरकार का मामला है। सरकार ने 17 अक्तूबर 2008 को मांझी का प्रमाणपत्र जारी किया और जापान सरकार ने उसे एक साल का वीजा दिया। तीन महीनों की कानूनी उठापटक के बाद अंतत: मांझी 3 नवम्बर 2008 को दादी इमिको की गोद में आई। मांझी की कहानी उन दंपत्तियों के लिए आंखें खोल देने वाला सच है जिसमें वे टूरिस्ट वीजा पर भारत आकर संतान सुख की बात सोचते हैं व सरोगेसी द्वारा संतान उत्पन्न कराने के पूर्व बच्चे की अस्पष्ट नागरिकता पर उठने वाले सवालों पर गौर करने की जहमत नहीं उठाते। वे यह भूल जाते हैं कि अगर परस्पर उनमें मन मुटाव हो जाए, कोई कानूनी अड़चन आ जाए या फिर कांटैक्ट के बावजूद सरोगेट मदर भावनात्मक लगाव के कारण बच्चा देने से इंकार कर दे ऐसे में उस मासूम बच्चे का क्या भविष्य है।
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