हैल्लो दिल्ली
फिल्म लगे रहो मुन्नाभाई में संजय दत्त को विद्या बालन की आवाज से प्यार हो जाता है क्योंकि वह रेडियो पर उनकी आवाज के दीवाने हैं। आप भी लोगों को अपना दीवाना बना सकते हैं। हो सकता है कि विद्या बालन का गुड मार्निंग मुंबई जैसा कोई जुमला रेडिया पर आपकी भी पहचान बन जाए। ठीक समझें आप इशारा रेडियो जॉकी बनने की तरफ है। एक दौर था, जब टीवी की पॉपुलैरिटी ने रेडियो को अंतिम सांसे लेने को मजबूर कर दिया था। फिर निजी एफएम चैनल्स की दौड़ से तस्वीर ऐसी बदली कि आज तमाम लोग पूरा-पूरा दिन रेडियो सुनना चाहते हैं। जिस कार में देखिए, सीडी की बजाय एफएम ही सुनाई देता है। एक चैनल बदलने में एक सेंकड से भी कम समय लगता है, ऐसे में लिसनर्स को बांधे रखने की सबसे अहम कड़ी है रेडियो जॉकी। यही एमएम चैनल की जान होता है और उसके हिट या फ्लॉप होने का कारण भी। पर्सनल स्किल्सस रेडियो जॉकी के रूप में सफलता का दारोमदार किसी रेडियो की बजाय व्यक्ति की पर्सनल स्किल्स पर होता है। कड़ी महेनत, प्रेजेंस ऑफ मांइड और बेहतर कम्यूनिकेशन सिक्लस इस पेशे की अहम शर्ते हैं। जो युवा इस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें लोगों से घुलने-मिलने का शौक होना चाहिए। उनकी कम्युनिकेशन स्किल्स इस हद तक डेवलेप होनी चाहिए कि लिसनर्स के तमाम अटपटे सवालों का जवाब दे सकें और माहौल को बोझिल न होने दें। रेडियो जॉकी को आमतौर पर लाइव शो होस्ट करने पड़ते हैं। इसलिए उनकी आवाज में लाइव इफेक्ट नजर आना चाहिए। आवाज ऐसी हो, जो दिल को छू जाए। आरजे एस्पायरेंट्स को रेडियो पर अलग-अलग चैनल सुनने चाहिए, जिससे उन्हें आरजे के काम करने के तरीके की जानकारी हो सके। लेकिन किसी का स्टाइल कॉपी करने की बात न सोंचे योग्यता रेडियो जॉकी, टैलंट बेस्ड फील्ड है, इसलिए इस फील्ड में करियर बनाने के लिए किसी प्रोफेश्नल डिग्री की जरूरत नहीं पड़ती। फिर भी डिग्री को प्रिफरेंसस मिल सकती है। आमतौर पर चैनल्स ग्रैजुएट या कम से कम इंटरमीडिएट पास युवा चाहते हैं कि रेडियो जॉकी की उम्र आमतौर पर 18 से 35 साल के बीच होनी चाहिए। चूकिं रेडियो पर फिल्मी गीतों के प्रोग्राम सबसे ज्यादा पंसद किए जाते हैं, इसलिए आरजे को म्यूजिक की बेसिक नॉलेज होनी ही चाहिए। नई पुरानी फिल्मों और उनके गानों के बारे में जानकारी रखना भी जरूरी है। लेकिन भाषा के शब्दों का ज्ञान, सही उच्चारण, आवाज के उतार-चढ़ाव की कला आरजे बनने की बेसिक जरूरते हैं। आपकी आवाज मशीनों से गुजरकर लोगों तक पहुंचेगी, इसलिए आपको थोड़ा सा टेक्निकल भी होना पड़ेगा। एक रेडियो जॉकी को रेडियो इक्विपमेंट्स और कंप्यूटर्स के बारे में भी जानना चाहिए। जॉब प्रॉस्पेक्ट्स रेडियो जॉकी की जॉब रेगुलर 9 से 5 वाली जॉब नहीं होती। उन्हें किसी भी समय शो होस्ट करने को कहा जा सकता है। उनके जॉब प्रोफाइल में म्यूजिक सेलेक्शन, स्क्रिप्ट राइटिंग और रेडियो शो प्रेजेंट करना शामिल होते हैं। रेडियो जॉकी का प्रजेंटेशन का तरीका किसी भी प्रोग्राम को हिट करा सकता है। रेडियो जॉकी के तौर पर आप नए-पुराने रेडियो एफएम चैनल्स में जॉब पा सकते हैं। ऑल इंडिया रेडियो जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में भी बतौर आरजे काम किया जा सकता है। इनके अलावा विदेशों में भी रेडियो स्टेशंस पर काम के अवसर मिल सकते हैं। स्पॉन्सर्ड प्रोग्राम बनाने वाली रेडियो सॉफ्टवेयर प्रोड्यूसर कंपनियां भी आरजे को नौकरी के अवसर देती हैं। चूंकि आरजे का काम आवाज पर आधारित होता है, इसलिए वॉयस ओवर आर्टिस्ट के रूप में भी अपनी जगह बनाई जा सकती है। कैसे हो एंट्रीस इस फील्ड में एंट्री करने का सबसे पॉपुलर तरीका है, ऑडिशन टेस्ट पास करना। यह बेहद कॉम्पिटेटिव होता है। ऑल इंडिया रेडियो समय-समय पर आरजे की नियुक्ति के लिए कई शहरों में ऑडिशन कराता है। फाइनल सेलेक्शन के बाद आरजे को दो महीने की इनहाउस ट्रेनिंग दी जाती है। सॉफ्टवेयर कंपनियां आमतौर पर 2-3 साल के अनुभवी आरजे को मौका देती हैं। सैलरी रेडियो जॉकी के रूप में आप पॉपुलर हो गए, तो फिर आपकी इनकम की कोई सीमा नहीं होगी। एक बार लिस्ट में आने के बाद आप अपनी सैलरी खुद तय कर पाने की स्थिति में होंगे। इससे पहले शुरूआत में आप 7 से 15 हजार रुपए महीने की जॉब पा सकते हैं, सॉफ्टवेयर कंपनियां एक शो के लिए 1500 से 2500 रुपए तक देती हैं। अनुभव के साथ-साथ रेडियो जॉकी की सैलरी बढ़ती जाती है और वह 15 से 85 हजार रुपए महीना तक कमाने लगता है। इसके अलावा, ऐड कमर्शियल और अन्य साधनों में वॉयस ओवर आर्टिस्ट के रूप में भी काम करके अच्छी खासी इनकम हो जाती है। याद रखें रेडियो जॉकी के रूप में सफलता का दारोमदार किसी डिग्री की बजाय व्यक्ति की पर्सनल स्किल्स पर होता है। कड़ी मेहनत प्रेजेंसस ऑफ माइंड और बेहतर कम्यूनिकेशन सिक्लस इस पेशे की अहम शर्तें हैं।
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