हैल्थ

अपने मुन्‍ने के आहार पर दें ध्‍यान

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

हर मां यह चाहती है कि उसका बच्‍चा स्‍वस्‍थ रहे और स्‍वस्‍थ रहते हुए विकास करे। इसके लिए बच्‍चे के खान-पान पर विशेष ध्‍यान देने की जरूरत होती है। बच्‍चे की जिंदगी के शुरुआती सालों में पौष्टिक आहार का खास महत्‍व होता है। यदि इस समय उसे पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है तो उसका विकास रुक जाता है। साथ ही कुपोषण के कारण अनेक बीमारियां उसे घेर लेती है। बच्‍चे का खान-पान तय करते समय बहुत सावधानी की बरतनी चाहिए। खाने-पीने की आदतें बच्‍चे के मूड पर निर्भर होती है। इसलिए जरूरी है कि उसे जल्‍दी-जल्‍दी भोजन दिया जाए और ऐसा आहार दिया जाए, जिसमें भरपूर पौष्टिक तत्‍व शामिल हों। आयरन इस उम्र बच्‍चों में आयरन की कमी होनी बहुत आम है क्‍योंकि सामान्‍य खान-पान से जरूरत के मुताबिक उसे आयरन की मात्रा नहीं मिल पाती है। बच्‍चे को आयरन से भरपूर आहार देना बहुत जरूरी है। शाम के आहार में एक गिलास संतरे का रस दे सकते हैं। कैल्शियम कैल्शियम हड्डियों और दांतों के लिए बेहद जरूरी है। बच्‍चे को नियमित रूप से दूध से बने पदार्थ देना चाहिए। इसके मुख्‍य स्रोत दूध, दही, पनीर, पत्‍तेदार सब्जियां तिल, संतरे का रस और दालें हैं। विटामिन , सी और डीविटामिन स्‍वस्‍थ त्‍वचा और ऊतकों के लिए बहुत आवश्‍यक है। विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने तथा विकास के लिए मददगार है। जो बच्‍चे बहुत ही कम फल और सब्जियां खाते हैं, उनमें विटामिन सी की कमी हो जाती है। इसलिए बच्‍चों से फल और सब्जियां खाने की आदत डालें। विटामिन डी शरीर के लिए बहुत आवश्‍यक है। विटामिन डी सूर्य के प्रकाश से मिलता है। यदि आपका बच्‍चा अधिकांश समय घर या स्‍कूल के अंदर बिताता है, तो उसे विटामिन डी की खुराक देना चाहिए। बाजार में मिलने वाले अधिकतर टॉनिकों में विटामिन डी की मात्रा होती है।

 

पेट में घुस बीमारियां ढूंढेगा स्‍नेक रोबोट

 

 

 

पेट के अंदर झांकना मुश्‍किल काम है। इसे आसान करने के लिए वैज्ञानिक ऐसा रोबॉट बनाने की सोच रहे हैं। जिसके हिस्‍से हमारे पेट में जाकर जुड़ेंगे और वहां की जांच पड़ताल और इलाज भी कर सकेंगे। हालां‍क‍ि वैज्ञानिक अभी तक कैप्‍स्‍यूल के साइज का कैमरा बना चुके हैं जो पेट के अंदर के फोटो खींच सकता है। इस तरह बिना एंडोस्‍कोपी या ऑपरेशन के रोग की छानबीन की जा सकती है। लेकिन यूरोपियन वैज्ञानिकों की एक टीम ऐसे छोटे-छोटे रोबॉट डवलेप करने पर विचार कर रही है, जो पेट के अंदर जाकर आपस में जुड़ जाएं। जुड़ने पर सांप के आकर वाले इस मॉड्यूल को बाहर से कंट्रोल किया जा सकेगा। इस तरह के रोबॉट बनाने में सबसे बड़ी बाधा इनका साइज रहा है, क्‍योंक‍ि इन्‍हें इतना छोटा होना चाहिए क‍ि आसानी से निगले जा सकें। यूरपियन वैज्ञानिकों की इस टीम में इटली, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और स्‍पेन के शोधकर्ता शामिल हैं। इनके मुताबिक पेट में बजाय एक रोबोट भेजने के कई छोटे-छोटे रोबॉट भेजे जाएं। पेट में पहुंचने पर ये आपस में जुड़कर सांप की तरह संरचना बनाएंगे। अपने अनोखे आकार-प्रकार की वजह से यह कई जटिल काम कर सकेंगे और हमारी आंतों में कहीं भी आसानी से जा सकेंगे। स्विटजरलैंड के रिसर्चर जोल्‍टन नैगी कहते हैं क‍ि इस तरह के रोबॉट की बात करने से पहले इस समस्‍या पर विचार करना बहुत अहम है क‍ि यह शरीर में जाकर आपस में जुड़ेंगे कैसे। इस समस्‍या के समाधान के लिए उन्‍होंने चुंबकों के इस्‍तेमाल का फैसला किया है। इनके इस्‍तेमाल के पीछे वजह यह है क‍ि इस तरीके में किसी पावर की जरूरत नहीं होगी। अगर बैटरी का इस्‍तेमाल किया जाए तो अकेले वही कैप्‍सूल का 60 फीसदी हिस्‍सा घेर लेती है। इसके अलावा मौजूदा कैप्‍सूलों को मनचाहे रूट पर मोड़ा नहीं जा सकता। इसी वजह से इनसे खींचे गए फोटो भी बेहतर नहीं होते थे। लेकिन नए तरह के कैप्‍सूल मॉड्यूल में फोटो खींचने के लिए ज्‍यादा लचीलापन मिल सकेगा। इस रिसर्च का अगला कदम होगा ऐसा तरीका डवलेप करना जिससे पेट के भीतर इन कैप्‍सूलों को आपस में लॉक करते समय शरीर का कोई नुकसान पहुंचे।